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बनारस का मणिकर्णिका घाट: जहां मौत एक उत्सव बन जाती है

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बनारस का मणिकर्णिका घाट

बनारस, जिसे वाराणसी भी कहते हैं, केवल एक शहर नहीं है। यह जीवन, मृत्यु और मोक्ष की एक अनकही कहानी का प्रतीक है। यहां हर गली, हर घाट और हर मंदिर में एक अलग ऊर्जा, एक अलग कहानी बसती है। लेकिन अगर कोई जगह है जो इस शहर की आत्मा को पूरी तरह से समेटे हुए है, तो वह है मणिकर्णिका घाट। यह सिर्फ एक घाट नहीं, बल्कि वो जगह है जहां लोग अपनी जिंदगी की आखिरी सांस लेने आते हैं, मोक्ष की तलाश में।

मणिकर्णिका घाट पर पहली नजर

रात के लगभग 2 बजे का समय था। पूरा शहर गहरी नींद में था, लेकिन मणिकर्णिका घाट जाग रहा था। घाट पर पहुंचते ही जलती हुई चिताओं की लपटें और गंगा की शीतल धारा का दृश्य, दोनों ही आपको एक अजीब से सुकून और गहराई का एहसास कराते हैं। यहां कोई शोक नहीं, कोई मातम नहीं। यहां मौत का स्वागत होता है, उसे मोक्ष के त्योहार की तरह मनाया जाता है।

घाट पर कदम रखते ही आपकी इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं। लकड़ी के जलने की महक, मंत्रों की गूंज, और चिताओं की आग — यह सब आपको जीवन और मृत्यु के बीच की उस महीन रेखा का एहसास कराते हैं।

इतिहास और आध्यात्मिक महत्व

मणिकर्णिका घाट का इतिहास सदियों पुराना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती के कान का कर्णफूल गिरा था, और भगवान शिव ने इसे अपनी आंसुओं से पवित्र किया था। यही कारण है कि इस घाट को इतना पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां चिता में जलने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है।

यह भी कहा जाता है कि यहां की चिता की आग हजारों साल से बुझी नहीं है। इसे अविनाशी अग्नि कहा जाता है। यह अग्नि जीवन और मृत्यु के बीच के संबंध को दर्शाती है — जहां एक अंत, एक नई शुरुआत का प्रतीक बन जाता है।

रात का अनुभव

घाट पर रात के समय जाना अपने आप में एक अलग अनुभव है। जब आप घाट की सीढ़ियों पर बैठते हैं और जलती हुई चिताओं को देखते हैं, तो आपको एहसास होता है कि जीवन कितना क्षणभंगुर है। यहां कोई आडंबर नहीं है, बस सच्चाई है। एक ऐसी सच्चाई जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।

डोम समुदाय के लोग, जो अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया का ध्यान रखते हैं, घाट की आत्मा हैं। उनकी भूमिका केवल लकड़ी जलाने तक सीमित नहीं है; वे इस परंपरा के संरक्षक हैं।

मणिकर्णिका घाट और आत्मचिंतन

यह जगह आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या जीवन केवल सांसों की गिनती है, या यह उससे परे कुछ और है? क्या मृत्यु का अंत वाकई में एक नई शुरुआत है? मणिकर्णिका घाट आपको इन सवालों से जोड़ता है और आपको खुद के साथ एक गहरा संबंध बनाने का मौका देता है।

सूरज की पहली किरण

रातभर के इस अनुभव के बाद जब आप असी घाट की ओर बढ़ते हैं और गंगा में उगते हुए सूरज की पहली किरणों को देखते हैं, तो यह एहसास होता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है। गंगा की शीतल धारा, सुबह की आरती और मंत्रों की गूंज आपके दिल और दिमाग दोनों को शांति देती है।

मणिकर्णिका घाट पर आने का संदेश

मणिकर्णिका घाट केवल एक यात्रा नहीं है; यह एक अनुभव है। यह आपको जिंदगी और मौत के बीच की उस सच्चाई से जोड़ता है, जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं। अगर आप बनारस आएं, तो यहां जरूर आएं। यह जगह आपको बदल देगी, आपके सोचने का नजरिया बदल देगी।

हर हर महादेव!

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टैग्स:

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